Creative Robotics

Youth camp - Naukuchiatal
I got to be a part of a Youth Camp (Jugendcamp) which was organised by Goethe Institut India. It was a fun time and I got to learn a lot about Germany through their workshops. I made a lot of friends during the trip and missed them very much when it ended, so I wrote a small poem.
यादें
सफर खत्म हुआ जब,
और लेटा मैं बिस्तर पे,
भर आया मेरा मन,
तो पूछा मैंने उससे –
ऐ मन क्यों रोता है तू,
ऐसा क्या है जो खोया है तू,
चार दिन पहले तक थे वो अजनबी,
दोस्त कहकर जिन्हें नींद खोता है तू |
बोल पड़ा मेरा मन,
क्या याद नहीं तुझे वो रातें ?
जब तारों के नीचे करी थी उनसे बातें,
जब करी थी हमने इतनी शरारतें ?
याद करके उन पलों को,
मैं भी मुस्कुराया,
बाहर आ गए वह आंसू,
जिन्हें था मैंने छुपाया |
बोला मेरा मन, जब नम हुई मेरी आंखें,
अब तो सदा सताएगी हमें रातें,
दिलाके याद वह शक्ले और रातें,
वह गुजरे पल और बीती बातें |
यूं तो होती रहेंगी WhatsApp पर बातें,
शायद हो भी जाए फिर मुलाकातें,
पर चाह कर भी भुला ना पाऊंगा मैं वो रातें,
वह गुजरे पल और बीती बातें,
वो लम्हे जो हमने साथ थे काटे |